हर बार जब नववर्ष आता है
अपने साथ जाने कितने पल लता है.
कुछ पल कर जाते है बडे बडे काम.
कुछ बीत जाते है यूं ही गुमसुम गुमनाम.
कुछ याद बन कर दिल में समां जाते है
कुछ ऊंचे उंचे अरमान जगा जाते है.
कुछ हवाओं के साथ एक भीनी खुशबु लाते है
कुछ समय कि आंधी में पत्तो से बिखर जाते है.
कभी उड़ना चाहता है मन आकाश से भी परे
कभी छूना चाहता है क्षितिज को बस खडे ही खडे.
कभी जग से हार के दिल एकांत में रोना चाहता है,
कभी कुछ पाने के लिए, सब कुछ खोना चाहता है.
पर इन ख्यालों में क्यों भटकता है तू.
क्या कहना है? जो अटकता है तू.
नववर्ष आयेगा तो ढेरो खुशियाँ लायेगा
शायद उनमें से कुछ तू भी बटोर पायेगा
इसी उम्मीद के साथ लेता हूँ मैं विदाई
और जाते जाते आपको नववर्ष कि हार्दिक बधाई.
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