Wednesday, October 7, 2020

छूट जाते हैं...

 रफ़्तार तेज़ हो तो नजारे छूट जाते हैं,

ऊंचाईयों पे अक्सर सहारे छूट जाते हैं।
समंदर की गहराइयों में, मिल तो जाते हैं मोती,
लहरों से मगर उनके, किनारे छूट जाते हैं।

जाने क्यूं लोग आस करते हैं उजाले की,
दिन के उजालों में, सितारे छूट जाते हैं।
गैरों में लोग ढूंढते रहते हैं मोहब्बत,
अपनों से रिश्तों में, दरारें छूट जाते हैं।

- नादिनेति