Saturday, October 13, 2007

तू...

कर्म कर तू कर्म कर, हर सुख तुझे ही भोग्य है।
प्रयास कर प्रयास कर, हर कर्म के तू योग्य है।
माना अंधेरी रात है, घनघोर घटा बरसात है।
तू कयों किरण को खोजती, तू स्वयं हि तो प्रकश है।

मत सोंच तेरी मंज़िल कहाँ,
तू चल ले जाये ये दिल जहाँ।
तू पग उठा, तू कदम बढ़ा, अब दूर नहीं आकाश है।

पुकार मत चीत्कार कर, तू वज्र सी हूंकार कर;
देख तेरी चीत्कार सुन, पराजय भी है भागता;
देख तेरी हुंकार सुन, भय भी थर थर काँपता।

अपनी शक्ति को पहचान, तू नहीं एक नन्ही जान,
तू दृष्टि है, तू वृष्टि है, तू ही त्रिलोक सृष्टि है।
फ़िर कयों मन तेरा उदास है।

तू हँस, तू गा, तू खुशी से मुस्कुरा,
कुछ पाना है तुझे, तो हाथ बढा,
हर सुख तुझे प्राप्य हो, यहीं मेरा प्रयास है।

नादिनेती ।।

Tuesday, March 13, 2007

House of Heart

Dear god. O dear god
Come to me n to my thought.
Build the house of my heart,
Taking care of inner parts.
Build the love, and build the hate,
Keep the later out of gate.
Build the feelings in the air,
Mark them as ‘handle with care’.
Make some space for family n friends,
They are beyond the time n trend.
Make a space for that special someone,
Without whom the life is a dumb.
All the bad habits, n all the bad names,
Should be kept out of games.
And keep the most precious places,
Just for you, n your blesses.
Always n only yours

Pyar

किसी की जिन्दगी बसाना भी प्यार है,
और जिन्दगी भर बस ना पाना भी प्यार है.
किसी की आंखो मे खो जाना भी प्यार है,
किसी से नज़रे ना मिला पाना भी प्यार है.
हर कदम पर साथ निभाना भी प्यार है,
और चलते-चलते रुक जाना भी प्यार है.
किसी का बहुत याद आना भी प्यार है,
और किसी को हर पल भूलाना भी प्यार है.
लफ्ज़ों को जोड़ कर कविता बनाना भी प्यार है,
और लफ्जों का ना मिल पाना भी प्यार है.
कभी दिल की धड़कनो मे रम जाना भी प्यार है,
और इन धड़कनो का रुक जाना भी प्यार है.
ख्वाबो में दिल लगाना भी प्यार है,
और कभी नींद ही ना आना भी प्यार है.
किसी से घंटो बाते बनाना भी प्यार है,
किसी से कुछ कह ना पाना भी प्यार है.
ये प्यार आवाज़ भी है और खामोशी भी.
ये प्यार बेचैनी भी है और मदहोशी भी.
ये प्यार ज़न्नत से बड़ी आबादी भी है
और ज़हन्नुम से बड़ी बर्बादी भी.
ये प्यार ही तो है जो हम सब के दिलों को जोड़ता है, 
और उस पर्वर्तेगार का ज़स्बा हमारे दिलो में रोशन करता है.
वो प्यार ही तो है …………

आपका प्यारा

Tanhaai

मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बाते करते है.
जाने लोग इस तन्हाई से इतना क्यों डरते है?
तन्हाई तो दोस्त होती है परछाई से भी बड़ी.
जो देती है साथ हर पल हर घड़ी.
परछाई तो अँधेरे में साथ छोड़ देती है.
अनकही, अधूरी सी बात छोड़ देती है.
पर तन्हाई मेरे साथ तब होती है,
जब मेरे साथ कोई नही होता.
वो मेरे साथ हँसती और रोती है,
जब मैं अपनो कि याद में हूँ खोता.
ये तन्हाई मुझे याद दिलाती है हर बीते पल कि,
और भविष्य में आने वाले मंज़िल की.
जब भी मैं और मेरी तन्हाई बाते करते है.
जाने लोग इस तन्हाई से इतना क्यों डरते है?

तनहा मुसाफिर.....

Ek Safar

एक दिन मैं जा रहा था.
बस चलता ही जा रहा था.
अनभिज्ञ था, नादान था.
बेखबर था, अनजान था.
बेसुध सा, ना जाने कहां,
बस चलता ही जा रहा था.

ना मौसम का कोई हाल था.
ना दिल में कोई ख़याल था.
जाने किस मंज़िल के पीछे
बस चलता ही जा रहा था.

बिखरे थे फुलो के सेज.
लेकिन मैं समय से भी तेज़.
ना किसी से दूर, ना किसी के पास
बस चलता ही जा रहा था.

ना मुझे कोई होश था.
ना उमंगो का जोश था.
फिर भी ना जाने क्यों
मैं चलता ही जा रहा था.

ना डरा, ना झुका.
ना थमा, ना रुका.
अडिग पेर निस्तेज
बस चलता ही जा रहा था.

क्या कभी ख़त्म होगा ये सफ़र.
अर्थहीन था करना ऐसी फिकर.
मुझे तो बस चलना था, इसलिये
मैं चलता ही जा रहा था.
बस चलता ही जा रहा था.
शायद चलता ही रहूंगा . . . . . . . . . .


अचानक एक धमाका हुआ.
छाया हर तरफ काला धुँआ.
क्या इस धुए में भी निरंतर
मैं चलता ही रहूंगा?

मन मे एक ख्याल आया.
एक अनोखा सवाल आया.
कब तक यूँ ही बिना मंज़िल के.
मैं चलता ही रहूंगा?

कोई तो मुझे चलना सिखाये.
कोई तो मुझे मंज़िल दिखाए.
क्या सदा इसी इंतज़ार में
मैं चलता ही रहूंगा.

क्या अपनी मंज़िल खुद नही खोज सकता?
क्या अपने कदम खुद नही मोड़ सकता?
ख़त्म करुंगा ये इंतज़ार
फिर भी चलता ही रहूंगा.

परंतु . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

नए उत्साह से, नए उद्वेग से.
नयी रफ़्तार, नए वेग से.
एक नयी आशा के साथ
मैं चलता ही रहूंगा.

बेसुध नही, निस्तेज नही.
स्थिर नही, पेर तेज़ नही.
उस मंज़िल को पाने के लिए
मैं चलता ही रहूंगा.
सदा चलता ही रहूंगा..

NAV-VARSH

हर बार जब नववर्ष आता है
अपने साथ जाने कितने पल लता है.
कुछ पल कर जाते है बडे बडे काम.
कुछ बीत जाते है यूं ही गुमसुम गुमनाम.
कुछ याद बन कर दिल में समां जाते है
कुछ ऊंचे उंचे अरमान जगा जाते है.
कुछ हवाओं के साथ एक भीनी खुशबु लाते है
कुछ समय कि आंधी में पत्तो से बिखर जाते है.
कभी उड़ना चाहता है मन आकाश से भी परे
कभी छूना चाहता है क्षितिज को बस खडे ही खडे.
कभी जग से हार के दिल एकांत में रोना चाहता है,
कभी कुछ पाने के लिए, सब कुछ खोना चाहता है.
पर इन ख्यालों में क्यों भटकता है तू.
क्या कहना है? जो अटकता है तू.
नववर्ष आयेगा तो ढेरो खुशियाँ लायेगा
शायद उनमें से कुछ तू भी बटोर पायेगा
इसी उम्मीद के साथ लेता हूँ मैं विदाई
और जाते जाते आपको नववर्ष कि हार्दिक बधाई.

Dosti

राह-ए-जिन्दगी में दोस्ती का फूल पाया हमने,
और वो फूल बहार-ए-दिल में बसाया हमने.
क्या खबर थी, वो फूल इस कदर खिल उठेगा,
मानो एक स्वप्न है, जो कभी ना टूटेगा.
स्वप्न में जो दोस्त है, वो बहुत सुन्दर है.
जितना बाहर नही, उससे अधिक अन्दर है.
खुदा से ऐसे तोहफे नसीब वालो को मिलते है
भला ऐसे फूल, हर गुलशन में कहाँ खिलते है.
नासमझ है वें, जो इनकी कीमत नही समझते,
नायाब है ये फूल, इनको खुदा भी तरसते.
इनका साथ निभाने को ये जिन्दगी छोटी है,
जो जीते है इनके बिना, उनकी किस्मत खोटी है.

Prayer

Oh god …

If you could ever find, a little time for me.
Just listen to my heart.
And even if you don't,
It won't break into parts.

I want to say thanks
For giving me eyes.
So I could look at your creation.
And have the pleasure twice.

I want to say thanks
For giving me a nose.
So whenever I feel
I can smell a rose.

I want to say thanks
For giving me ears.
And creating a rhythm
For me to hear.

I want to say thanks
For giving me tongue
Which can taste foods
And has spoken and sung.

I want to say thanks
For giving me hands.
Which can help the needy.
And take firm stands.

And many many many thanks to you
For giving me a heart.
So I could feel love, & this aesthetic world
Which is nothing but your part.

But forgive me god,
I miss used all your gifts.
And contaminated your beautiful creation.
With violence and rift.

And my greatest urge is
To have, one of your creation.
Who is only for me.
And for my holy relations.
Someone with a beautiful heart
And a pious soul.
Who keeps me on track,
Whenever I foul.

And what I need the most
Is a digital pain.
Which reminds me about you,
Again and again.

I want to say thanks
For giving me a mind.
Which wanders in infinity,
And rotates like the wind.

And I want to say thanks,
For giving me the power of imagination,
That inspires me to work hard
And have my own creation.

A Great thanks from the unreachable depths of my heart.

Oh god…