Sunday, September 7, 2008

गम और मैं

चन्द पल कोइ मुझे उधार दे कि ज़िनदगी छोटी है बहुत।
कोइ मुझे एक सच्चा यार दे कि किसी की कमि है बहुत।

मानता हूँ ऐ गम तुने हर पल साथ दिया,
कितना भी गहरा हो जख्म तुने हर दम सिया।

याद है वो पल जो हमने साथ जिये,
और हर वो अश्क जो हमने साथ पिये।

पर ऐ गम, मुझपे एक एहसान कर 
कुछ देर अब तू ज़रा आराम कर।

जगह नहीं दिल में अब तेरे वास्ते
आज से अलग है अपने रास्ते।

तुझे बुलाउंगा मैं पर आज नहीं
साथ निभाउंगा मैं पर आज नहीं।

कयूँकि बुलावा आया है मेरे यार का,
और मौका है ये खुशी और प्यार का।

ऐ गम ऐ तन्हाई आज मुझे माफ़ कर,
मेरे साथ आज तू एक छोटा सा इन्साफ़ कर।

साथ छोड मेरा कि आज कुछ हिसाब करना है
इस कविता से एक दोस्त को बेताब करना है।

एक दोस्त ने छोटि सी फरमाइश की है
इसलिये इस कविता की आज नुमाइश की है।

कविता और बुलावा तो खैर सब बहाना है
हमारा मकसद तो इस पल को यादगार बनाना है।


नादिनेति …

10 comments:

रश्मि प्रभा... said...

एक दोस्त ने छोटी सी फरमाइश की है
इसलिये इस कविता की आज नुमाइश की है।......
दोस्त को बहुत ही सुन्दर तोहफा दिया ,बहुत ही अच्छी रचना........

रचना गौड़ ’भारती’ said...

gam ke aaram ki baat pasand aai. bahut badhai

रचना गौड़ ’भारती’ said...

bahut bahut badhai!!

shama said...

Itnee achhee lagee aapki rachnaa ke baar, baar padhee...gamhee ek aisaa saathee hai jo saath denese kabhee mukhar nahee jaataa ! Badhaee ho!

Anonymous said...

bohut accha.... keep it up

राजेंद्र माहेश्वरी said...

कविता और बुलावा तो खैर सब बहाना है
हमारा मकसद तो इस पल को यादगार बनाना है।

वाकई आपने इस पल को यादगार बना दिया है।

प्रदीप मानोरिया said...

हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है निरंतरता की चाहत है
समय निकाल कर मेरे ब्लॉग पर भी दस्तक दें

mystery said...

wo mara papad wale nu....
gum di aisi taisi kar di...

luv u bhai..
keep it up...;

Anonymous said...

kehte hai ki gham aur khushi dono hi zindagi ka fasaana hain,
par jaane kyun gham se hamara zara gehra hi dostana hai :)

lekin ghamo ko lekar rone k bajay unhe zindagi ka hissa samajhna aur is masoomiat se usse kucch der zudaii ki guzarish karna dil ko chhoo gaya :)

simply beautiful and inspiring!!

Shyam S Yadav "कठोर" said...

ek kavi.....ki kalpana nahi ho tum , shabd bhi nahi ho tum ............aaj tum sirf "tum" ho !!!


ye is kathor kavi ki .....samajh hai !!!