Tuesday, August 5, 2008

Dost

कलम से झडे चंद शब्द,
कागज़ पे उतरे कविता बनाने को.
अरमान जो ह्रदय में छुपे थे,
ज़ाहिर कर उन्हें दुनिया को बताने को.
वो दोस्त जिसने ज़िन्दगी को जिंदा कर दिया,
उस दोस्त को हाल-ए-दिल सुनाने को.
ऐ दोस्त कोटि कोटि शुक्रिया तेरा,
इस नाचीज़ को लाख खामियों के बावजूद अपनाने को.
तेरे बिना ये ज़िन्दगी एक सूना सफ़र होती,
हर फूल खिलता बस यूँ ही मुरझाने को.
ऐ दोस्त तुम बस यूँ ही रहना,
हर पल हर घडी ये रिश्ता निभाने को.

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